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8-9 जनवरी की अखिल भारतीय आम हड़ताल सफल करो

8-9 जनवरी की अखिल भारतीय आम हड़ताल सफल करो

देश की समस्त प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी फैडरेशनों द्वारा 8-9 जनवरी को अखिल भारतीय स्त्तर पर आम हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस आह्वान का पंजाब में कार्यरत ट्रेड यूनियन संगठन ‘सैंटर आफ ट्रेड यूनियंज़’ (सी.टी.यू) द्वारा भी पूर्ण से समर्थन किया जा रहा है। केंद्र की मोदी सरकार की समर्थक व आर.एस.एस. के श्रमिक अंग के रूप में कार्य करने वाले संगठन ‘भारतीय मजदूर संघ’ (बी.एम.एस.) द्वारा इसका विरोध ही नहीं किया जा रहा बल्कि एक तथाकथित संगठन ‘कन्फैडरेशन आप सैंट्रल ट्रेड यूनीयंज़’, जो कि बी.एम.एस. के कार्यालय से ही संचालित किया जा रहा, बनाकर इस अखिल भारतीय आम हड़ताल का केंद्र की मोदी सरकार से सरगर्म समर्थन हासिल करके विरोध के प्रयत्न किये जा रहे हैं। पंजाब में इस अखिल भारतीय आम हड़ताल के लिए व्यापक स्तर पर लामबंदी की जा रही है। 27 नवंबर को मोहाली में इसके अंग के रूप में पंजाब भर से पहुंच हजारों श्रमिकों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था जिसमें ‘सैंटर आफ ट्रेड यूनियंका’ की ओर से भी शिरकत की गई थी। इस बारे में जारी अपील निम्नानुसार है : -संपादक
यह आम हड़ताल क्यों ?

केंद्र ने मोदी सरकार ने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में खुलेआम देशी-विदेशी कारपोरेट कम्पनियों के पक्ष में कार्य किया है। इसके परिणामस्वरूप देश की 73 प्रतिशत सम्पदा आज 1 प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के हाथों में सिमट गई है। 11 लाख करोड़ से ज्यादा बैंकों की राशि बड़े पूंजीपतियों के हाथ में है जिसे सरकार ने निष्क्रिय परिसम्पत्ति घोषित कर उसे बट्टे खाते में डाल दिया है। बैंकों को बीमार घोषित कर उसे निजी हाथों में सौंपने की साजिश हो रही है। तमाम सार्वजनिक क्षेत्रों को अन्दर से खोखला बनाकर उसे औने-पौने दामों पर निजी हाथों सुपुर्द करने की लगातार साजिश जारी है। शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं का तेजी से निजीकरण हो रहा है। जिससे श्रमिक वर्ग सहित आम लोगों का जीवन और ज्यादा संकटग्रस्त हुआ है।

श्रम कानूनों में मालिकपक्षीय सुधार के जरिये जहां एक ओर मालिकों को नौकरी पर रखने एवं  उसे बाहर करने की छूट दी जा रही  है, वहीं ट्रेड यूनियन गतिविधियों पर तरह-तरह की पाबंदियां लगाई जा रही हैं। स्थाई नियोजन के स्थान पर ठेका प्रथा, बाहर की ऐजेंसियों से कार्य करवाना, अस्थाई एवं दैनिक मजदूरों के जरियें मजदूरों का भयंकर शोषण किया जा रहा है तथा तमाम कानूनों को समाप्त कर एक दंतहीन श्रम संहिता तैयार की जा रही है।
बेरोजगारी एवं अद्र्ध बेरोजगारी एक भयंकर समस्या बन गई है, जो मोदी द्वारा घोषित प्रतिवर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने के खोखलापन को उजागर कर रहा है।
नोटबंदी एवं जी.एस.टी लागू करने से छोटे व्यवसाय, उद्योग एवं किसानों को तबाही का सामना करना पड़ा है, जिससे बेरोजगारी  में और ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।
आज पूरे देश के किसान भी संघर्ष के मैदान में है। मजदूर वर्ग ने अपनी पूरी एकजुटता किसान आंदोलन के प्रति प्रदर्शित की है।
भारत का मजदूर वर्ग नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के खिलाफ संघर्ष की अुगवाई करता रहा है और अब 17वीं बार आम हड़ताल की तैयारी में जुटा हुआ है।
हड़ताल का आह्वान करने वाली तमाम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एंव सेवा संगठनों ने देश के मजूदर वर्ग सहित सभी तबकों खासकर किसानों, सामाजिक रूप से पीडि़त महिलाओं, दलितों तथा अन्य शोषित-पीडि़त लोगों से 8-9 जनवरी को आम हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया है।
अत: आइये 8-9 जनवरी की आम हड़ताल को सफल कर सरकार की जनविरोधी, श्रमिक विरोधी एवं गैर जनतांत्रिक नीतियों एवं कदमों के खिलाफ अपनी चट्टानी एकता का परिचय देते हुए इसे सफल बनाएं।
प्रमुख मांगें

1. न्यूनतम वेतन 18000/-रूपये प्रति महीना किया जाए।
2. न्यूनतम वेतन संशोधित करने की प्रक्रिया तीव्र की जाये तथा संशोधित दरें सितंबर 2017 से लागू की जायें।
3. सरकारी विभागों में ठेका प्रणाली द्वारा भर्ती  व कच्चे श्रमिक पक्के किये जाएं।
4. पंजाब सरकार छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट तुरंत जारी करे, महंगाई भत्ते की किश्तें दी जायें, डी.ए. वेतन में मिलाया जाये, अंतरिम राहत दी जाये तथा कर्मचारियों के पिछले बकाये दिये जायें। विभागों में खाली पड़े हजारों पदों पर पक्की भत्र्ती की जाए।
5. समस्त कर्मचारियों को जनवरी 2004 से पहले वाली पैन्शन दी जाये।
6. भिन्न-भिन्न विभागों व स्कीमों के अधीन कार्यरत कर्मचारियों को मिल रहे वर्तमान वेतनों पर ही उन्हें पक्का किया जाये।
7. साक्षात्कार द्वारा चुने गए कर्मचारियों को उनके पदों पर शीघ्र नियुक्त किया जाए।
8. आंगनबाड़ी, आशा वर्कर, मिड-डे-मील व ग्रामीण चौकीदारों समेत समस्त स्कीम श्रमिकों को जब तक कर्मचारी नहीं माना जाता तब तक श्रमिक मानकर न्यूनतम वेतन व समस्त कानूनी सुविधाएं दी जायें।
9. निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण, नवीनीकरण तथा वित्तीय लाभ देने के लिए ‘आन-लाइन’ के  साथ-साथ ‘आफ-लाइन’ दोनों ढंग जारी रक्खा जायें। ब्लाक स्तर पर श्रमिक कल्याण कार्यालय खोले जाएं।
10. मनरेगा मजदूरों को निर्माण श्रमिकों की श्रेणी में पुन: शामिल करके समस्त वित्तीय लाभ दिये जाएं। मनरेगा मजदूरों को वर्ष में 200 दिन कार्य दिया जाए। किये काम के बकाये शीघ्र दिये जायें!
11. श्रम कानूनों में किए गए मजदूर विरोधी संशोधन वापिस लिए जायें।
12. ईंट-भट्ठों पर फैक्ट्री एक्ट लागू किया जाये।
13. केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य पर 6 प्रतिशत तथा शिक्षा पर भी 6 प्रतिशत खर्च किया जाए ताकि सभी के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा की गारंटी की जा सके।
14. रिकार्ड तोड़ महंगाई को लगाम लगाई जाये। आवश्यक वस्तुओं के वायदा व्यापार पर रोक लगाई जाये। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के घेरे में समस्त लोगों को लाया जाये।
15. स्वामीनाथन आयोग की सिफारशों को लागू किया जाये।
16. किसानों न मजदूरों के समस्त कर्जे माफ किये जाये।
17. कृषि मजदूरों की सुरक्षा के लिए सर्व-व्यापी केंद्रीय कानून बनाया जाये।
18. तीव्र भूमि सुधार किये जायें तथा भूमिहीनों को भूमि मुफ्त दी जाये तथा आबादकारों को भूमि के स्वामित्व आधिकार दिए जायें।
19. किसानों की भूमि जबरी अधिग्रहित करने की नीति बंद की जाये तथा पहले से बने कानून के अनुसार मुआवजा दिया जाए।
20. प्राकृतिक आपदाओं के पीडि़तों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाये तथा उनके पुनर्वास का प्रबंध किया जाये।
21. जन-विरोधी नवउदारवादी नीतियों को बदल कर जन-पक्षीय नीतियां लागू जायें।

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