सिंघू बॉर्डर, 13 अक्टूबर (संग्रामी लहर ब्यूरो)- लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड के शहीदों की अंतिम अरदास के एक दिन बाद, संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर अपनी मांग दोहराता है कि अजय मिश्रा टेनी को तुरंत बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाए। एसकेएम ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में उनका बने रहना न्याय से समझौता है, और यह अकल्पनीय है कि नरेंद्र मोदी सरकार उनका बचाव कर रही है। काले झंडों के साथ विरोध कर रहे किसानों को अजय मिश्रा टेनी द्वारा सीधे तौर पर धमकियां देने और अपने आपराधिक इतिहास को दिखाने के कई वीडियो मौजूद हैं। यह स्पष्ट है कि वह शत्रुता, घृणा और द्वेष को बढ़ावा दे रहे थे। एसकेएम ने कहा कि उन पर पहले कार्रवाई नहीं करने के लिए माफी मांगने के बजाय, श्री नरेंद्र मोदी की अनैतिक सरकार वास्तव में उनका, उनके बेटे और उनके सहयोगियों का बचाव कर रही है और निर्दोष किसानों को न्याय से वंचित कर रही है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहली केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं जिन्होंने लखीमपुर खीरी नरसंहार के बारे में कुछ भी कहा है, हालांकि यह बयान उन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक सवाल के जवाब में देना पड़ा था। हालाँकि, उन्होंने इसे “बिल्कुल निंदनीय हिंसा” कहा, लेकिन बड़े अजीब तरह से मंत्री और अन्य आरोपियों का बचाव करने की मनघड़न्त कोशिश की। यह अकल्पनीय है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड की तुलना अन्य घटनाओं से की जा रही है, और भाजपा और वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा अजय मिश्रा टेनी का इस तरह बचाव करने से न्याय की उम्मीद कम हो गई है। इस बीच, लखीमपुर खीरी में, कई अन्य दोषी जो स्पष्ट रूप से नरसंहार का हिस्सा थे, अभी भी लापता हैं और यूपी पुलिस उन्हें नहीं पकड़ रही है।
कैबिनेट मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण भी उसी झूठे आख्यान को फैलाने की कोशिश कर रही हैं जिसे मोदी सरकार ने सामने रखा है, की किसानों ने 3 किसान-विरोधी कानूनों के बारे में कोई विशेष आपत्ति और स्पष्टीकरण नहीं दिया है। किसानों ने 3 कृषि कानूनों पर अपनी मूल आपत्तियों को स्पष्ट और प्रभावी तरीके से बताया है, और यह भी समझाया है की केवल संशोधनों या एक समय अवधि के लिए निलंबन द्वारा बाजारों के गहन समस्याग्रस्त अविनियमन का समाधान नहीं होगा। इसके अलावा, मंडियों के बंद होने या किसानों की आय में भारी गिरावट के बारे में सामने आए आधिकारिक आंकड़ों के साथ-साथ यह तथ्य भी सामने आया है कि किसानों के लिए पहले से ही अनुचित एमएसपी की घोषणा की गई है, जिससे वे बहुत कम कीमत प्राप्त कर पा रहे हैं। जहां अनुभवजन्य प्रमाण स्पष्ट रूप से किसानों के पक्ष में हैं और 3 कानूनों के निहितार्थों के उनके विश्लेषण पर सरकार ने अब तक एक भी कारण नहीं बताया है कि इन कानूनों को निरस्त क्यों नहीं किया जा सकता है या किया जाएगा। एसकेएम ने सुश्री सीतारमण से अन्य मंत्रियों की तरह ही झूठी कहानी फैलाने के बजाय तथ्यों के बारे में अवगत होने का आग्रह किया है।
कल, भारत भर में हज़ारों स्थानों पर, लखीमपुर खीरी के शहीदों की याद में और न्याय के लिए श्रद्धांजलि सभा और मोमबत्ती मार्च का आयोजन किया गया। तिकुनिया में हजारों किसानों ने अंतिम अरदास में हिस्सा लिया और एसकेएम के ज्यादातर नेता भी मौजूद रहे। तिकुनिया में इस प्रार्थना सभा के बाद शहीद कलश यात्राएं भारत के विभिन्न हिस्सों और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए रवाना हुईं।
दशहरा पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो धर्म की रक्षा और बहाली का प्रतीक है। दशहरे पर, बुराई के विनाश को दिखाने के लिए, रावण और बुराई के प्रतीक अन्य लोगों के पुतले जलाए जाते हैं। इस साल, 16 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा के घटक संगठन नरेंद्र मोदी और अजय मिश्रा टेनी सहित कई अन्य भाजपा नेताओं के पुतले जलाएंगे।
आज, केरल में, किसान पूरे राज्य में केंद्र सरकार के कार्यालयों में धरना दे रहे हैं, और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिनकी लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस बीच, सीटू तमिलनाडु से जुड़े लगभग 500 परिवहन कर्मचारी एकजुटता के साथ किसान आंदोलन में शामिल होने और आंदोलन को मजबूत करने के लिए सिंघू मोर्चा पर आएं। भारत के दूर-दराज के हिस्सों (दिल्ली से दूर) में किसान आंदोलन की सक्रिय भागीदारी और प्रसार ने भाजपा-आरएसएस के लोगों के बयानों पर विराम लगा दिया कि आंदोलन केवल एक या दो राज्यों (पंजाब और हरियाणा) तक सीमित है।
चंपारण से वाराणसी तक की लोकनीति सत्याग्रह पदयात्रा के बारहवें दिन पदयात्री आज सुबह फेफना से रवाना हुए और दोपहर तक देवस्थली पहुंचे। आज रात तक पदयात्री रसदा पहुंचेंगे। आज श्री नरेंद्र मोदी से यात्रा का सवाल है: “मजदूरों के पलायन और बढ़ती अमीरी-गरीबी असमानता का जिम्मेदार कौन?”?
विभिन्न राज्यों के किसान धान खरीद की सही मायनों में शुरूआत की बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसा अब तक नहीं हुआ है। राजस्थान में किसान, खरीद के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, जिन्होंने कई बुजुर्ग किसानों सहित शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे किसानों पर हिंसक लाठीचार्ज किया था। हरियाणा में भी किसान बाजरे की खरीद की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, पंजाब और हरियाणा में भी किसान पिंक बॉलवर्म के प्रकोप से कपास की फसल को हुए नुकसान के मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, महाराष्ट्र और कर्नाटक में, किसान अत्यधिक बारिश के कारण हुई फसल के नुकसान के लिए प्राकृतिक आपदा मुआवजे की मांग कर रहे हैं। तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में कई जगहों पर गन्ना किसान बेहतर कीमतों के साथ-साथ बंद चीनी मिलों को फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं। किसान आंदोलन इन सभी किसानों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की शक्ति और प्रेरणा प्रदान कर रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा वन संरक्षण अधिनियम 1980 में प्रस्तावित संशोधनों पर अपनी चिंता व्यक्त करता है, जिससे वन अधिकार अधिनियम 2006 को कमजोर किया जा सकता है जो पहले से ही अक्षरशः कार्यान्वयन की कमी से पीड़ित है। वन संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन, एक “जंगल” को फिर से परिभाषित करने से प्राकृतिक संसाधनों को कॉर्पोरेट को सौंपने के लिए एक मार्ग बनाता है, जो वन-आश्रित और वन-निवासी समुदायों को बुनियादी आजीविका से भी वंचित कर देगा। भारत में आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय की स्थिति, जो स्थायी संसाधन संरक्षण और प्रबंधन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं, प्रस्तावित संशोधनों से और खराब हो जाएगी। प्रस्तावित संशोधन स्थानीय प्रशासन संरचनाओं की संवैधानिक शक्तियों को भी छीन लेगी, और सत्ता और निर्णय केंद्रीकृत कर देगी। यह मोदी सरकार की आम असंवैधानिक प्रकरण बन गई है जिससे किसानों और श्रमिकों की आजीविका को सीधे प्रभावित करने वाले क्षेत्रों में कानूनी परिवर्तनों में अपनाया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने की पुरजोर मांग करता है और मोदी सरकार के जनविरोधी प्रस्तावों की निंदा करता है।
इस प्रेस नोट के जारी होने के समय हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना में राज्य के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर के वहां पहुंचने के विरोध में किसानों की भारी भीड़ उमड़ रही थी। मुख्यमंत्री के हेलीपैड पर उतरने की उम्मीद में देवीलाल स्टेडियम के बाहर किसान काले झंडे लेकर जमा चुके थे। हालांकि, किसानों की भारी भीड़ को देखते हुए यह स्पष्ट नहीं है कि सीएम वास्तव में गोहाना आएंगे या नहीं। किसानों ने पहले ही उनकी भागीदारी के खिलाफ चेतावनी जारी की थी।