शिव अमरोही
जून 2017 में शिक्षा मंत्री द्वारा बिना आवेदन पत्र प्राप्त किए ही बड़ी संख्या में इच्छुक अध्यापकों के तबादले करने से नाराज 26 अध्यापक यूनियनों ने सांझा अध्यापक मोर्चा बनाकर संघर्ष आरंभ किया था। उधर पंजाब सरकार ने 800 स्कूल बंद करने का निर्णय ले लिया। इसके साथ ही तदर्थ ठेका आधारित अध्यापकों तथा सर्व शिक्षा अभियान तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजनाओं के अंतर्गत नियुक्त अध्यापकों को इसी तरह नियुक्त अन्य कर्मचारियों के साथ ही रैगुलर करने से इनकार कर दिया। हालांकि तदर्थ व ठेका आधारित कर्मचारियों को रैगूलर करने के लिए विधान सभा में कानून बनाया जा चुका था। शिक्षा विरोधी रैगुलेराईजेशन नीति तथा ‘पढ़ो पंजाबÓ का अतिरिक्त बोझ भी अध्यापकों के रोष का कारण था। अध्यापकों ने उपरोक्त मांगों की प्राप्ति के लिए एकजुट होकर संघर्ष आरंभ किया तथा 2018 के मध्य तक लुुधियाना तथा पटियाला में जो रैलियां तथा रोष मार्च किए उनमें शामिल अध्यापकों की संख्या ने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए।
अध्यापकों के रोष को शांत करने की बजाए पंजाब सरकार ने अध्यापक नेताओं के विरुद्ध दमनात्मक कदम उठाकर संघर्ष को कुचलने का मार्ग चुन लिया जिससे अध्यापकों के रोष में और वृद्धि हो गई। लेकिन अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में जब दस-दस वर्षों से भी अधिक समय से एस.एस.ए./आर.एम.एस.ए. केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत कार्यरत अध्यापकों को रैगुलर ग्रेड देने से पहले आगामी तीन वर्षों तक 15300 रूपए पर कार्यरत रहने का आदेश पंजाब सरकार ने सुनाया तो क्रोध की चिंगारी लावा बन कर फूट पड़ी। यहां यह बता देना असंगत नहीं होगा कि इस समय ये अध्यापक 42000 से भी ऊपर प्रतिमाह वेतन ले रहे हैं। पंजाब सरकार के इस फैसले से गुस्साए अध्यापकों ने 7 अक्तूबर से पटियाला में पक्का मोर्चा शुरू कर दिया तथा 17 अध्यापक, जिनमें 6 अध्यापिकाएं शामिल थीं, आमरण अनशन पर बैठ गए। इसके बाद सांझा अध्यापक मोर्चा के बैनर तले लगभग प्रतिदिन ही एक्शन होते रहे हैं। इनमें से मुख्य मुख्य एक्शन निम्न अनुसार हैं :-
1. प्रदेश स्तरीय रैली के साथ मरण व्रत व पक्का मोर्चे का आरंभ : सांझे अध्यापक मोर्चे के नेतृत्व में पटियाला के दुख निवारण गुरूद्वारा साहिब के बाहर ग्यारह अध्यापक आमरण अनशन पर बैठ गए और इस प्रकार सात अक्टूबर से पटियाला में पक्का मोर्चा शुरू हो गया। इस का प्रारंभ एक विशाल प्रदेश स्तरीय रैली से किया गया जिसमें बीस हजार से भी अधिक अध्यापक-अध्यापिकाएं शामिल हुईं। मुख्यमंत्री के आवास की ओर किए गए रोष मार्च से पटियाला में लगभग सारा दिन भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही। 8 अक्टूबर को मरण व्रत में सात अध्यापिकाएं भी शामिल हो गईं।
2. प्रतिदिन दो से तीन जिलों के अध्यापक पक्के मोर्चे में शामिल होते व रैली में शामिल होते थे।
3. मंत्रियों/विधायकों के आवास की ओर मशाल मार्च, घेराव तथा काला सप्ताह : सांझे मोर्चे के आह्वान पर पंजाब के अधिकांश मंत्रियों के आवास की ओर विशाल मशाल मार्च किए गए जिनमें अध्यापकों केे साथ ही अन्य कर्मचारी यूनियनों के कार्यकत्र्ताओं ने भी भाग लिया। अध्यापकों ने एक सप्ताह तक स्कूलों में काले रिबन लगा कर अध्यापन कार्य किया। मंत्रियों के आवासों का घेराव 15 अक्तूबर तक चला।
4. जिला स्तर पर दशहरा पर्व से एक दिन पहले, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सैक्रेटरी, वित्त मंत्री व मुख्य मंत्री के पुतले जलाने का कार्यक्रम : दशहरे से एक दिन पहले संध्याकाल में पंजाब के सभी जिलों में अध्यापकों की विशाल एकत्रतायें हुईं और शिक्षा मंत्री, मुख्य मंंत्री, शिक्षा सैक्रेटरी आदि के पुतले जलाकर रोष प्रदर्शन किए गए।
5. प्रदेश स्तरीय 13 और 21 अक्टूबर की रैलियां : 13 अक्तूबर को पटियाला में फिर से लामिसाल रैली व धरना, प्रदर्शन किया गया, जिससे पुलिस बल के हाथ पैर फूले रहे। इक्कीस अक्तूबर के रोष मार्च में अध्यापकों के साथ-साथ लगभग सभी कर्मचारी संगठन तथा कुछ किसान व मजदूर संगठन भी शामिल हुए तथा मुख्य मंत्री के आवास मोती महल की ओर रोष मार्च शुरू कर दिया। भारी पुलिस बल द्वारा लगाए गए अवरोधों के पास प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठ गए। रात 9 बजे के बाद जब मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ने 23 अक्तूबर का बातचीत के लिए समय दिया तब जाकर धरना प्रदर्शन समाप्त किया गया।
6. आमरण अनशन के स्थान पर 24-24 घंटे की भूख हड़ताल का निर्णय : 23 अक्तूबर की बातचीत में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव तथा राजनैतिक सचिव ने मोर्चा के नेताओं से बारीकी से लंबी बातचीत की तथा विक्टेमाइजेशनों को समाप्त करने तथा मुख्यमंत्री के इजराईल दौरे से वापसी पर पांच नवम्बर को उनसे मीटिंग करवाने तथा अध्यापकों की मांगों पर सकारात्मक निर्णय का विश्वास दिलाया। मोर्चे के नेताओं ने मीटिंग की कार्यवाही पर गहन चिंतन करने के बाद आमरण अनशन समाप्त करके पांच नवम्बर तक 11-11 अध्यापकों को 24-24 घंटे भूख हड़ताल पर बैठाने और पक्का मोर्चा जारी रखने का निर्णय लिया। साथ ही पांच नवम्बर को होने वाली मीटिंग के बाद संघर्ष के अगले चरण की घोषणा की जाएगी।