2019 के संसदीय चुनावों के समय भारत एक ऐसे ऐतिहासिक मोड़ पर है कि प्रश्न खड़ा हो गया है: ‘अब देश किस ओर’?
भारतवासियों व पंजाबियों के लिए यह चुनाव करने का प्रश्न समक्ष आ खड़ा हुआ है कि भारत जनवाद, संघवाद व धर्म निरेपक्षता के रास्ते पर आगे बढ़ेगा या फिर देश में असहमति की आवाज का गला घोंटने का रुझान भारी रहेगा? ‘पंजाब जनवादी गठजोड़’ ने देश व पंजाब के लिए पहले रास्ते का चुनाव किया है!
बी.जे.पी. की मोदी सरकार ने भारत की राष्ट्रीय, भाषार्ई, धार्मिक, जातिपाति व नस्ली विभिन्नताओं के साथ-साथ मजदूरों, किसानों व मध्य वर्ग को भी रगड़ कर जोर-जबरदस्ती तथाकथित ‘राष्ट्र’ में पीस देने का बीड़ा उठा लिया है। बी.जे.पी. सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को दशकों से क्षरित किये जाने को शिखर पर पहुंचा कर विरोधी विचारों के प्रति असहिनशीलता व युद्ध का वातावरण निर्मित कर दिया है। देशवासियों को बुनियादी व जनवादी अधिकार खतरे में हैं। राजनीतिक मंच पर इस घटनाक्रम ने केंद्रीयवादी बी.जी.पी. को, अन्यों समेत क्षेत्रीय पार्टियों के समक्ष ला खड़ा किया है। मोदी सरकार ने कारपोरेटों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की 100 प्रतिशत छूट देकर, नोटबंदी व फिर जी.एस.टी. द्वारा छोटे कारोबारियों का गला घोंट दिया है। पर शहरी रोष को पनपने से रोकने के लिए मंहगाई रोकते-रोकते किसानी को विपत्ति में डाल दिया है तथा समूचे ग्रामीण भाईचारे को संकटग्रस्त करते हुए हाशिए की ओर धकेल दिया है। पैट्रोल-डीजल मंहगे करके सरकार के लिए टैक्स जुटाने, शिक्षा व स्वास्थ्य के खर्च आसमान तक पहुंचा कर लोगों की जिंदगी मंहगी कर दी है। विश्व बाजार में मंदी के चलते ‘मेक इन इंडिया’ द्वारा भारत का तीव्र औद्योगिकीकरण व रोजगार पैदा करने का सपना ध्वस्त हो जाने के कारण नौजवान विशेष रूप में ग्रामीण नौजवान बेरोजगारी के कुचक्र में फंस गए हैं तथा नशों के रास्ते पडऩे के लिए मजबूर हैं।
स्वतंत्र भारत में कांग्रेस कार्यकाल से लेकर असंवैधानिक तरीकों से छीने गए पंजाब के नदी जल के प्राकृतिक संसाधन, हैडवक्र्स का कंट्रोल, पंजाबी भाषा का स्थान, पंजाबी भाषी क्षेत्र, राजधानी चंडीगढ़ के मामले में हुए अन्याय ने पंजाब के विकास में बाधा उत्पन्न कर दी है। राज्य की वित्तिय व प्रशासकीय शक्तियों को आघात पहुंचने के कारण संतुलन केंद्र की ओर झुक गया है तथा कृषि, उद्योग, संस्कृति व भाईचारे को क्षति पहुंची है।
किसान, मजदूर, दलित, पिछड़े व छोटे कारोबारी घोर निराशा की स्थिति में फंस कर आत्म हत्यायें करते आ रहे हैं। बेरोजगारी के कुचक्र में फंसे नौजवान विदेशों की ओर भागने या नशे के कुचक्र में फंसने का श्राप झेल रहे हैं। पंजाब में पहले शिरोमणि अकाली दल-बी.जे.पी. की गठजोड़ सरकार व अब कांग्रेस सरकार ने कृषि, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, नशों, वातावरण तथा दुखद व नर्क बनती जा रही शहरी जिंदगी की समस्याओं का समाधान निकालने की जगह पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों, जमीन, जल पर माफिया कब्जा जमाने; बाजार व प्रगति के हर मौके को हथियाने का रास्ता अपना लिया है।
किसानों की कर्ज माफी, घर-घर रोजगार, चार हफ्तों में नशा खत्म करने की प्रतिज्ञाओं जैसे सभी वायदे काफूर हो गए हैं।
पिछले समय के दौरान, श्री गुरु ग्रंथ साहिब व धार्मिक बेअदबी (असम्मान) की अन्य घटी क्रमिक साजिश भरी कार्यवाहियों के बारे में न्याय प्राप्त करने की लिए बरगाड़ी मोर्चा लगाना पड़ा परंतु इंसाफ की जगह नाटकबाजी ही मिली। यह सिद्ध हो गया है कि कांग्रेस-अकाली राज में आम आदमी के लिए न्याय प्राप्त करना दूभर हो गया है। यह पक्का हो गया है कि किसानों, अध्यापकों, नर्सों, आंगणबाड़ी वर्करों को पानी की बौछारें व लाठियां ही मिलेंगी, न्याय व अधिकार नहीं।
पंजाब के लोग लगभग एक दशक से परिवर्तन के लिए प्रयासरत हैं। अंधेरे के बादल छंटने तथा पंजाब को संकटग्रस्त स्थिति में से बाहर निकालने के लिए, पिछले कई दशकों से पंजाब की सत्ता-राजनीति व साधनों पर सर्प-कुंडली मारे बैठी पारंपरिक पार्टियों के विकल्प के रूप में सात पंजाब पक्षीय व जनवाद-पसंद राजनीतिक पार्टियों ने 2019 के संसदीय चुनावों में एक संघीय व जनवादी भारत के निर्माण हेतु ‘पंजाब जनवादी गठजोड़’ का गठन किया है। इस ‘पंजाब जनवादी गठजोड़’ का संयुक्त चुनाव कार्यक्रम निम्न अनुसार है:
1. भारत की अनेकता में एकता की खातिर, भारतीय गणराज्य के भीतर संघीय व जनवादी भारत के लिए संघर्ष करना। कांग्रेस व बी.जे.पी. की जोर-जबरदस्ती से केंद्रीयकरण करने की नीतियों का विरोध करना। संविधान में केंद्र-राज्य संबंधों के बारे में संयुक्त सूची पर पुर्न-विचार करना तथा दोनों की बीच संतुलन बहाल करना।
2. पंजाब के नदी जल पर रिपेरियन सिद्धांतों व संविधान की धारा 262 के अनुसार पंजाब का अधिकार स्वीकार करवाके, नदी जल पर राज्य के स्वामित्व के अधिकार, हैडवक्र्स के कंट्रोल, पंजाबी भाषा का स्थान बहाल करवाने, पंजाबी भाषी क्षेत्रों व राजधानी चंडीगढ़ की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना।
3. किसानों के लिए एक बारगी कर्जा-माफी के साथ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाना तथा चिर स्थाई रूप में कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए सहकारी आंदोलन पर पुर्न: विचार करके जन राय से सहकारी कृषि को उच्चतर व व्यापक बनाने के लिए कृषि-यंत्रों, नहरी सिंचाई तथा मंडीकरण को सरकार द्वारा प्रेरक के रूप में प्रदान करना।
4. ‘गठजोड़’ रोजगार को बुनियादी सांवैधानिक अधिकार के रूप में स्वीकार करने का समर्थक है। बेरोजगारी की विकराल हो रही समस्या के समाधान के लिए कृषि व शहरी उद्योगों के विकास के साथ-साथ सरकारी व गैर-सरकारी नौकरियों में मानव श्रम के सम्मान के रूप में, ‘‘समान काम के लिए समान वेतन’’ के प्राकृतिक न्यायोचित सिद्धांत के अनुरूप, हर तरह की ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करना तथा नौजवानों को स्व-रोजगार के लिए प्रोत्साहन देना। श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन तथा 8 घंटे का कार्य-दिवस सुनिश्चित करना तथा कामगारों के परिवारों की सुरक्षा के लिये नई पैन्शन स्कीम 2004 को रद्द करके पुरानी पैन्शन स्कीम को बहाल करवाना।
5. नशा-मुक्त समाज का निशाना सख्ती से नहीं बल्कि प्यार से तथा समझा-बुझा कर प्राप्त किया जा सकता है तथा वह भी जब, जब समाज तनाव-मुक्त हो तथा सब ओर खुशहाली हो। अब जब समाज संकटग्रस्त है तो नशा-विरोधी कानून (एन.डी.पी.एस. एक्ट) ने आग में घी का कार्य किया है। 33 सालों में नशे की मांग समाप्त करने में असफल रहने के साथ-साथ इस कानून ने पाबंदियां थोप कर, बेपनाह ताकत पुलिस को प्रदान कर, नशे के आदियों को अपराधी का दर्जा देकर नशा-माफिया पैदा कर दिया है। नशे के आक्रमक बाजारीकरण ने महंगा सिंथेटिक व मैडिकल नशा घर-घर पहुंचा दिया है तथा एक मानवीय संकट खड़ा कर दिया है। राजनीतिक संरक्षण के बल पर हजारों नशे के आदी जेलों में बंद कर दिये गए हैं जबकि धंधे में शामिल मगरमच्छ छुट्टा घूम रहे हैं। जेलें भरी हुईं हैं , अपराध का अड्डा बन गई हैं। ‘‘गठजोड़’’ नशे के आदीयों को बीमार समझ कर सरकार की ओर से चिकित्सीय सहायता मुफ्त में प्रदान करने, मैडीकल व सिंथेटिक नशा-माफीया के प्रति कड़ा रूख अपनाने तथा भरी हुई जेलों को खाली करने की मांग करता है।
6. राजनीतिक-सामाजिक अन्यायों के मद्देनजर, कानून-व्यवस्था व न्याय प्रक्रिया को राजनीतिक प्रभावों से मुक्त करना ताकि ‘‘इंसाफ में देरी, अन्याय’’ बन जाने वाली स्थिति से मुक्ति पाई जा सके।
7. पंजाबी समाज के भीतर जाति-पाति की बुराई तथा पैतृक सत्ता की जकड़ के कारण औरतें, जो कि पंजाबी समाज का आधा भाग हैं, के साथ होते भेदभाव, जोर-जबरदस्ती व उत्पीडऩ को समाप्त करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक व सामाजिक कदम उठाने, ताकि पंजाबी समाज को आधुनिक पथ पर अग्रसर करते हुए समानता, सामाजिक न्याय व 21वीं शताब्दी के अनुरूप बनाया जा सके।
8. ग्रामीण क्षेत्र में दलित भाईचारे के लिए आवास व दुधारु पशु आदि रखने के लिए संयुक्त पंचायती भूमि में से या जहां पंचायती भूमि नहीं है वहां सरकारी रूप में खरीदकर, भूमि आरक्षित करने के लिए कानून बनाना।
9. शिक्षा व स्वास्थ्य की पूरी जिम्मेवारी सरकार द्वारा उठाई जाएगी तथा इन क्षेत्रों में गंभीर सुधार करने। राज्य के समस्त बच्चों के लिए समान गुणवत्ता युक्त शिक्षा व सभी के लिए गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सुुविधाओं की व्यवस्था करना।
10. पुलिस का गैर-अपराधीकरण तथा गैर-राजनीतिकरण तथा अफसरशाही का गैर-राजनीतिकरण करके, सरकार की गैर-संविधानिक जकड़ से इसे मुक्त करके इन्हें पेशेवर, पारदर्शी व जबावदेह बना कर पंजाब में कानून का राज्य स्थापित करना।
11. हिंद-पाकि दोस्ती व सरहद के आर-पार व्यापार को उत्साहित करते हुए पंजाब को घातक युद्ध का अखाड़ा बनने से रोकना। इसके साथ ही अमृतसर, आदमपुर, चंडीगढ़ व लुधियाना के हवाई-अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए तथा जमीनी रास्ते द्वारा केंद्रीय एशिया व मध्य-पूर्वी देशों से व्यापार के लिए प्रोत्साहन देने हेतु विकसित करना। इस उद्देश्य के लिए पर्यटन व संास्कृतिक आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित करना।
12. बर्जुगों के लिए बुढ़ापा पैंशन व सामाजिक सुरक्षा को संविधानिक अधिकार के रूप में मान्यता देना।
13. पर्यावरण की रक्षा के लिए हवा व पानी के प्रदूषित होने से रोकने के लिए राजनैतिक दखलंदाजी करके प्रशासन में पैदा हुई उदासीनता व अनदेखी करने की प्रवृति को समाप्त करना।
हम पंजाब के समस्त जुझारू, जागरूक, मेहनतकश लोगों को अपील करते हैं कि केंद्रीय व पंजाब सरकार की जन विरोधी व राष्ट्र विरोधी आर्थिक नीतियों के विरुद्ध; सांप्रदायिकता व भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए; रोजगार के अधिकार के लिए; पंजाब, पंजाबी व पंजाबियत के मान-सम्मान के लिए, आओ!
पंजाब जनवादी गठजोड़ से मिलकर आगे बढ़े, लोगों को जागरूक करें!!
पी.डी.ए. के उम्मीदवारों को अधिक-से-अधिक वोट डालकर जिताएं तथा सांझ-सौहार्द पर आधारित खुशहाल भविष्य को ओर कदम बढ़ायें!!!
1. रछपाल सिंह, राजू, राज्य अध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी
2. बंत सिंह बराड़, सचिव, सी.पी.आई.
3. मंगत राम पासला, महासचिव, आर.एम.पी.आई.
4. सुखपाल सिंह खैहरा, अध्यक्ष, पंजाब एकता पार्टी
5. सिमरजीत सिंह बैंस, अध्यक्ष, लोक इंसाफ पार्टी
6. डा. धर्मबीर गांधी, संरक्षक, नवां पंजाब पार्टी
7. किरनजीत सिंह सेखों, सचिव, एम.सी.पी.आई.(यू.)