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क्या दुष्यंत चौटाला नयी पार्टी बनाएगे?

क्या दुष्यंत चौटाला नयी पार्टी बनाएगे?

कृष्णस्वरूप गोरखपुरिया

जींद में गत 17 नवंबर को कार्यकर्ता सम्मेलन में अजय सिंह चौटाला द्वारा इनेलो को छोटे भाई अभय सिह चौटाला को गिफ्ट में देने की घोषणा से जनता और इनेलो के कार्यकर्ताओं में एक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। अभी भी बहुत से देवीलाल परिवार के शुभचिन्तक यह आशा कर रहे हैं कि चौटाला परिवार में दोबारा एकता कायम हो जाएगी। अभय समर्थकों का यह भी कहना है कि जींद के कार्यकर्ता सम्मेलन में केवल तीन वर्तमान विधायक और एक दर्जन से कम पूर्व विधायकों की उपस्थिति के कारण नाम व निशान पर दावा कमजोर होने के कारण ही अजय सिंह चौटाला को इनेलो पर दावा छोडऩा पड़ गया है।
इसमें कोई शक नहीं कि हाजरी और विशेष कर युवकों की उपस्थिति के लिहाज से यह कार्यकर्ता सम्मेलन सफल था। अजय सिह चौटाला द्वारा आगामी नौ दिसंबर को नई पार्टी के गठन की घोषणा के बाद, अब नई पार्टी की घोषणा के अलावा दुष्यन्त चौटाला के सम्मुख और कोई विकल्प नहीं है। दुष्यंत चौटाला द्वारा निश्चित तौर नई पार्टी की घोषणा आगामी नौ दिसंबर को जींद में कर दी जाएगी, जिसका संभवत: ‘जननायक जनता दल’ नाम रखा जाए और अध्यक्ष भी कोई चौटाला परिवार से बाहर का वरिष्ठ नेता बना दिया जाए। सुलह-सफाई का अब समय खत्म हो गया है और दोनों पक्षों की ताकत का फैसला राजनैतिक मैदान में ही होगा।
यह सही है कि नयी पार्टी के गठन से इनेलो को काफी नुकसान होगा। एकजुट पार्टी इनैलो और साथ में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन से हरियाणा में एक मजबूत राजनैतिक विकल्प तो उभर गया था, परंतु भाजपा व कांग्रेस को हरा कर सरकार बनाना निश्चित नहीं था। विगत साढ़े चार वर्ष में इनेलो की राजनैतिक दिशा मूलत: कांग्रेस विरोधी व भाजपा समर्थक रही है। भाजपा की जन विरोधी नीतियों के कारण राजस्थान व मध्य प्रदेश में भाजपा की हालत काफी खस्ता है और वहां पर भाजपा की हार होने के बाद पूरे देश में भाजपा विरोधी ताकतें एकता की तरफ बढ़ती नजर आ रही हैं। यहां तक कि कांग्रेस के धुर विरोधी आंध्र प्रदेश के
मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू भी तेलंगाना में कांग्रेस से मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।
जहां एक तरफ इनेलो और बसपा का गठबंधन मिलकर एसवाईएल के सवाल पर अभियान चलाने के लिए एक दिसंबर से रैलियों की तैयारियां कर रहा है। मायावती ने यूपी के तीन लोकसभा उपचुनावों में अखिलेश यादव से मिलकर भाजपा को कमर तोड़ पराजय दी है और भविष्य में अखिलेश यादव से मिलकर भाजपा को यूपी में परास्त करने का मायावती ने ऐलान किया है। इस समय मायावती देश में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर दौड़ में सबसे आगे हैं। अगर मायावती की बहुजन समाज पार्टी का भविष्य में भी इनेलो को साथ गठजोड़ रहा, तो यह निश्चित तौर पर अभय सिंह के नेतृत्व मे इनेलो को बड़ा सहारा मिलेगा। दूसरी तरफ वर्तमान में इनेलो को चौधरी ओमप्रकाश चौटाला, पार्टी के पुराने नेताओं का साथ व पुराने चुनाव निशान ‘ऐनक’ का भी पार्टी को लाभ होगा।
    वर्तमान में अब तक के हालात में 9 दिसंबर को गठित हो रही पार्टी को वर्तमान में युवाओं का अच्छा खासा समर्थन प्राप्त है, परंतु पार्टी को बनाने, पार्टी को चलाने और चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बड़ा रास्ता तय करना होगा। इनेलो को छोड़ कोई भी क्षेत्रीय दल हरियाणा में पांच वर्ष से ज्यादा नहीं चल पाया है। नई बनने वाली पार्टी को सबसे पहले अपनी राजनैतिक दिशा तय करनी होगी।  यह ठीक है कि जींद में अस्तित्व में आने वाली नई पार्टी की तरफ से इसके नेताओं ने भाजपा और कांग्रेस से अलग सभी पार्टियों के साथ मिलकर चलने का ऐलान किया है, लेकिन पिछले पांच साल में इनेलो ने हर निर्णायक मोड़ पर भाजपा का साथ दिया है। सभी को याद है कि इनेलो ने राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति के चुनावों में अपने वोट भाजपा उम्मीदवारों को दिए थे और 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद इनेलो द्वारा भाजपा सरकार को दिया गया समर्थन अभी तक वापस नहीं लिया गया है। यही नहीं अभी हाल में सारे विपक्ष द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर इनेलो ने विपक्ष के साथ वोट नहीं डाला और गैर हाजिर रहकर मोदी सरकार का समर्थन किया।
    अब देखना यही है कि नौ दिसंबर को बनने वाली नई पार्टी भाजपा के साथ पूर्ववत मित्रतापूर्ण संबंध रखेगी या उसकी जनविरोधी नीतियों का खुलकर विरोध करेगी। इसी पर निर्भर करता है नई पार्टी का भविष्य कि वह भाजपा विरोधी पार्टियों के साथ किस किस्म के रिश्ते तय करेगी और इसी पर उसके भविष्य का विकास निर्भर करता है।  
(लेखक, एक राजनीतिक विश्लेषक है)

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